Saturday, May 24, 2008

वली कमाल खान 'आरीफ अदीब' की नज़र में अनवर नदीम

आज़ादी, सुबह-ऐ-नौ, खून की नद्दीयाँ , दर्द की तीसें, अजमत-ऐ-वतन, रत की ज़ुल्मत और नौजवानी का हौसला - ये हैं अज्ज़ा अनवर नदीम के ज़हन के ! वो छतरी है खून का , नौजवान है जदीद हीन्दोस्तान का, शाईर है दिल का, इन्सान है समाजी शराफत के उसूलों का। वो छतरी है खालीस, उसकी ज़बान भी शाईरआना है , उस के अन्दर दिल भी शाईरआना है, उसने लफ्जों को इस्तेमाल करते वक़्त शाईर बन के काम किया है। मैं खुश हूँ अनवर नदीम के एहसास से और उस के तर्जे-कलाम से, उसकी ज़बान से और उसके लहजे से।

अफ्कार-ओ-खयालात को चाँद बनाना , एहसास-ओ-ईद्रीकात को चाँदनी बना के पेश करना, अपनी शख्सियत को चन्दा मामा बनाना, अनवर नदीम का सबसे बड़ा आर्ट है, मेरी नज़र में वो कामयाब है इस फेन में, वो शाईर भी है और फनकार भी।

- वली कमाल खान 'आरीफ अदीब'

Anwar Nadeem as Mirza Hadi Ruswa in "Umrao Jaan"



"Anwar Nadeem, a city (Lucknow) based Urdu poet poet, author and screenplay writer epitomises the essence of what's left of Lucknow's old world charm. And thankfully so, as it is this very impeccable Luckkhnawi lehja that caught the attention of director JP Dutta, who was on the lookout for someone who could speak refined Urdu, to fit the role of Mirza Hadi Ruswa, in his forthcoming film (Umrao Jaan) starring Abhishek Bachchan and Ash (Aishwarya Rai, a former Miss World).

"And as fate would have it, Nadeem not only plays the author who originally penned the classic tale of a famous courtesan from Lucknow, but also ended up doing the narration for the celluloid version of the book (Umrao Jaan Ada)"





















- Anjali Singh Jaiswal, Lucknow Times, The Times of India, September 25, 2006