आज़ादी, सुबह-ऐ-नौ, खून की नद्दीयाँ , दर्द की तीसें, अजमत-ऐ-वतन, रत की ज़ुल्मत और नौजवानी का हौसला - ये हैं अज्ज़ा अनवर नदीम के ज़हन के ! वो छतरी है खून का , नौजवान है जदीद हीन्दोस्तान का, शाईर है दिल का, इन्सान है समाजी शराफत के उसूलों का। वो छतरी है खालीस, उसकी ज़बान भी शाईरआना है , उस के अन्दर दिल भी शाईरआना है, उसने लफ्जों को इस्तेमाल करते वक़्त शाईर बन के काम किया है। मैं खुश हूँ अनवर नदीम के एहसास से और उस के तर्जे-कलाम से, उसकी ज़बान से और उसके लहजे से।
अफ्कार-ओ-खयालात को चाँद बनाना , एहसास-ओ-ईद्रीकात को चाँदनी बना के पेश करना, अपनी शख्सियत को चन्दा मामा बनाना, अनवर नदीम का सबसे बड़ा आर्ट है, मेरी नज़र में वो कामयाब है इस फेन में, वो शाईर भी है और फनकार भी।
- वली कमाल खान 'आरीफ अदीब'
अफ्कार-ओ-खयालात को चाँद बनाना , एहसास-ओ-ईद्रीकात को चाँदनी बना के पेश करना, अपनी शख्सियत को चन्दा मामा बनाना, अनवर नदीम का सबसे बड़ा आर्ट है, मेरी नज़र में वो कामयाब है इस फेन में, वो शाईर भी है और फनकार भी।
- वली कमाल खान 'आरीफ अदीब'