उसकी सुन्दर काया में
अपने घर ले आये हम
गांव का सारा भोलापन।
फिर भी चिंता रहती है
शहरों से घबराएगा
उसका सीधा सादा मन।
अनवर जी की इच्छा है
उसकी रचना शक्ति से
उभरे ऐसा उजला फ़न !
जीवन को दर्शाता हो
राह नई दिखलाता हो
गीत, ग़ज़ल, जैसा दर्पन।
अनवर नदीम (1937-2017)
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