Saturday, June 19, 2021

جینے کا ہنر

 


جینے کا ہنر 

 

تہذیب کے سارے گلیارے 

پربات، سہرا، جنگل کے 

آج تلک ابھارے ہیں 

 

انسان کے نازک ذہنوں پر 

تاریخ کے روشن پننوں پر 

دریا کی عجب فنکاری ہے ! 

 

یہ بہتا پانی دھرتی کو 

ہر دور کی چابکدستے کو 

جینے کا ہنر سکھلاتا ہے !

 

سنسار کے جتنے دریا ہیں 

ساحل پی ان ہی کے زندہ ہیں 

جذبات کے سندر تاجمحل !

 

دریاؤں کی سارے جلدھارا 

لگتے ہے ہمیشہ بنجارا 

صدیوں کے سفر کا درپن ہے ! 

 

- انور ندیم (1937-2017)

 

 The Skill of Living or Life Skill

 

All corridors of civilization

Of mountains, deserts, and jungles

Are indebted till today!

 

On delicate human minds

And the bright pages of history

Rivers have left their unique artistic imprint!

 

This flowing water of rivers

Teaches the earth

The Art of enduring the whiplash of every age!

 

All civilizations of the world

Have thrived on river banks

These beautiful structures of our emotions!

 

The free flow of meandering rivers

Always appears nomadic

Mirroring our centuries-long journey!

 

-          Anwar Nadeem (1937-2017)

Translated from Urdu by Dr. Navras J. Aafreedi






"दर्द का मरहम" | अनवर नदीम (1937-2017)



यादें मीठी भी होती हैं 

यादें कड़वी भी होती हैं 

यादें जी बहला सकती हैं 

यादें मन तड़पा सकती हैं 

यादें हम को डस लेती हैं 

यादें अमृत भी लाती हैं 


जीवन के पेचीदा रिश्ते 

कांटे, पत्थर, जटियल, मैदां 

बोझल पैकर, ज़ख़्मी रूहें 

ख़ून ख़राबा, ठोकर, चोटें 

मंज़िल ऐसा प्यारा सपना 

जिस पर सारी दुनिया मरती 

सब की मंज़िल अब तक ओझल 

फिर भी इस की चाहत बेकल 


ओझल मंज़िल की राहों में 

ज़ख़्मी, चोटों के जंगल में 

यादों के मरहम से शायद 

मन के गहरे घाव भरेंगे ! 


यादें मीठी हो सकती हैं 

मरहम भी ठंडा होता है 

यादें कड़वी हो सकती हैं 

मरहम भी कुछ लग सकता है !


- अनवर नदीम (1937-2017)