बस वही नक़ाब, झूमर, लचका, गोटा, अफ़्शां और ग़रारा
बस वही कवाब, कोफ़्ते, रोग़न जोश, चपाती, पराठे और बिरयानी
बस वही तेज़, ख़ुशबूदार गर्ममसालों की दादागिरी
बस वही शीरमाल, सिवईं और बालूशाही की जलवागिरी
बस वही लंतरानी में बहुत कुछ छुपा लेने की कोशिश
बस वही शीन, क़ाफ़ की फिसलन पर तमसख़ुर की बौछार
बस वही सर्वजन बस्तियों में दूरियों के ख़तरनाक कांटे
बस वही ग़ज़ल के पीछे उर्दू शाइरी का बहुत लम्बा क़ाफ़िला
बस वही शेरी किताबों का ज़ख़ीरा, बेरूह ज़हनों का मुकालमा
बस वही दस पन्द्रह मौज़ूआत, ग़ज़ल फ़ैक्टरी का सब कुछ
बस वही थके हारे क़लम का अफ़सोसनाक अन्जाम
बस वही ग़ज़ल से बेज़ार इल्म-ो-दानिश का रवय्या
- अनवर नदीम (1937-2017)
No comments:
Post a Comment