Tuesday, August 14, 2018

"कहते हैं जिसे हिन्द" | अनवर नदीम (1937-2017)



ऐसा तो कोइ देश ज़माने में नहीं है  
हर दीन इसी ख़ाक पे सदियों से मकीं है  
दुन्या का वतन है तो यही एक ज़मीं है  
कहते हैं जिसे हिन्द वही मेरा वतन है.

 
 












मिट्टी है इसी देश की यकताये-ज़माना  
छेड़ा है इसी ख़ाक पे गंगा ने तराना  
है ताज, महब्बत की बलंदी का फ़साना  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.
 

उभरी है इसी देश से गौतम की कहानी,
गाँधी से मिली हमको महब्बत की निशानी  
नेहरू से मिली फ़िक्र--सियासत को रवानी
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.

बंगाल की जुल्फों की सियाही का वतन है  
जज़्बात की मासूम-निगाही का वतन है  
हर ज़ुल्म की भरपूर तबाही का वतन है  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.

कश्मीर के फूलों का चमन देखने वालो  
मासूम रवाजों का चलन देखने वालो  
तहजीब की पाकीजा किरन देखने वालो  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.

सरजू के किनारे, कभी गंगा के किनारे  
हर घाट पे मौजूद हैं संतों के दुलारे  
होते हैं शबो-रोज़, अकीदत के नजारे  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.

कहते हैं किसे जोश, ये पंजाब से पूछो  
आरिज़ पे दमकते हुए महताब से पूछो  
तारीखे-जुनूं-खेज़ के इक बाब से पूछो  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.


वो रेत के टीले हैं की जाटों का नगर है  
वो कैसे खनकते हुए वादों का नगर है  
मरदाना रवय्यों के तमाशों का नगर है  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.



 











गुजरात की तारीख, कि मैसूर की रूदाद
बरसों रही इस ख़ाक पे इक जंग सी आबाद  
अब रूहे-वतन हो नहीं सकती कभी नाशाद  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.


हरयाना, उडीसा, कि हिमाचल का इलाका  
होता है शबो-रोज़ पसीने का नज़ारा  
महनत का पसीना है, महब्बत का तमाशा  
कहते है जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.


शिवा के नए देश से तामिल के तकाजे  सुनते हैं बड़े प्यार से केरल के फ़साने  
भोपाल के, पटना के, निज़ामों के चहीते  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है


ये देश, नए गीत के संगीत का मरकज़  
रक्कास के पैरों की नयी रीत का मरकज़  
अफ़कारे-सियासत की नयी जीत का मरकज़  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है

सागर से नए दौर की आती हैं सदायें  
हर दिल से गुज़रती हैं महब्बत की हवाएं  
इक रोज़ तो छट जायेंगी फ़िक्रों की घटायें  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.

इस देश का इक नाम है पाकीज़ा महब्बत  
इस देश का इक नाम है दस्तूरे-सखावत  
इस देश का इक नाम है तारीख़-ए-शुजाअत  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.
 
ये मेरा वतन, तेरा वतन, सबका वतन है  
खुशियों का, मुरादों का, इरादों का चमन है,  
इस दौर में इन्सान-नवाज़ी की लगन है  
कहते हैं जिसे हिन्द, वही मेरा वतन है.

अनवर नदीम (1937-2017)