ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
सर ज़मीन-ए -वतन तू सलामत रहे
तुझ को हर साल जश्न-ए -मसर्रत मिले
हर ज़माने में सच्ची मुहब्बत मिले
अपने बेटों से तुझको अक़ीदत मिले
वक़्त पड़ने पर उनकी शुजाअत मिले
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
तुझको हर दौर में भाईचारा मिले
अम्न का शान्ति का नज़ारा मिले
ज़िन्दगी की नयी एक धारा मिले
अज़मत-ो-शादमानी दोबारा मिले
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
पर्वतों पर तुझे पाक सांसें मिलें
जंगलों में अछूती फ़ज़ाएँ मिलें
रेगज़ारों में हस्ती की राहें मिलें
बस्तियों में मसर्रत की शामें मिलें
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
तेरे मासूम बच्चे न सोचें कभी
उनपे तेरी हुकूमत की गोली चली
आदमियत ज़माने में रुसवा हुई
दूर तुझसे हमेशा रहे बेहिसी
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
बदलियां तुझ पे रहमत की छाने लगें
फिर फ़ज़ाएँ तिरी गुनगुनाने लगें
फिर बहारें तिरी मुस्कुराने लगें
तेरे फनकार फिर गीत गाने लगें
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
सब का ईमान, तेरी अमानत रहे
सब का एहसास तेरी हरारत रहे
सब की ज़िंदादिली तेरी ताक़त रहे
तुझ में बाक़ी हमेशा शराफत रहे
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
- अनवर नदीम (1937-2017)
सर ज़मीन-ए -वतन तू सलामत रहे
तुझ को हर साल जश्न-ए -मसर्रत मिले
हर ज़माने में सच्ची मुहब्बत मिले
अपने बेटों से तुझको अक़ीदत मिले
वक़्त पड़ने पर उनकी शुजाअत मिले
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
तुझको हर दौर में भाईचारा मिले
अम्न का शान्ति का नज़ारा मिले
ज़िन्दगी की नयी एक धारा मिले
अज़मत-ो-शादमानी दोबारा मिले
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
पर्वतों पर तुझे पाक सांसें मिलें
जंगलों में अछूती फ़ज़ाएँ मिलें
रेगज़ारों में हस्ती की राहें मिलें
बस्तियों में मसर्रत की शामें मिलें
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
तेरे मासूम बच्चे न सोचें कभी
उनपे तेरी हुकूमत की गोली चली
आदमियत ज़माने में रुसवा हुई
दूर तुझसे हमेशा रहे बेहिसी
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
बदलियां तुझ पे रहमत की छाने लगें
फिर फ़ज़ाएँ तिरी गुनगुनाने लगें
फिर बहारें तिरी मुस्कुराने लगें
तेरे फनकार फिर गीत गाने लगें
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
सब का ईमान, तेरी अमानत रहे
सब का एहसास तेरी हरारत रहे
सब की ज़िंदादिली तेरी ताक़त रहे
तुझ में बाक़ी हमेशा शराफत रहे
ऐ ज़मीन-ए-वतन ! तू सलामत रहे
- अनवर नदीम (1937-2017)
No comments:
Post a Comment