Saturday, August 14, 2021

"एक पुराना हल" | अनवर नदीम (1937-2017)


ये सच है कि 

मसाइल हमें विरसे में मिले हैं 

मगर हम 

मसाइल को हल करने की कोशिश भी नहीं करते 

शायद उलझनों को सुलझाने का गुर 

हमें मालूम ही नहीं है।  

हालात यक़ीनन बहुत बुरे हैं 

क्यों न फिर यही किया जाये 

कि पड़ोसी हमें 

और हम पड़ोसी को उकसाएं 

ताकि बारूद 

नंगे मसाइल को 

अपनी चादर में लपेट ले।  

- अनवर नदीम (1937-2017) 

1 comment:

Aaj ki taja khabar 2021 said...

Sir आपने बहुत अच्छे से Rahat indori Shayari post Explain कि हैं। Very Nice post